Coronavirus: कोरोना वायरस के नाम पर हो रही धोखाधड़ी, रहें सावधान

संपादक, गौरव तिवारी


नई दिल्ली, 24 मार्च 2020



नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार ने मंगलवार को कोरोना वायरस के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी के प्रति लोगों को सचेत किया है। उसने कहा है कि धोखेबाज कोरोना वायरस के नाम पर मालवेयर के जरिये आपके मोबाइल फोन और कंप्यूटर से निजी डाटा चुराने की कोशिश कर रहे हैं। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ऐसे धोखेबाजों के चक्कर में न आने की सलाह दी है।


प्रवक्ता ने ट्वीट किया, 'उन धोखेबाजों से सतर्क रहें जो कोरोना वायरस के नाम पर मालवेयर फैला रहे हैं। इस प्रकार के एप या लिंक खोलने पर आपके फोन या कंप्यूटर का गोपनीय डाटा चोरी हो सकता है।' साइबर धोखेबाज स्पाईमैक्स, कोरोना लाइव 1.1 जैसे कथित कोरोना वायरस एप लिंक के रूप में मालवेयर फैला रहे हैं।


उसने कहा कि कभी-कभी साइबर अपराधी कोरोना वायरस के नाम पर चंदा भी जुटाने लगते हैं। मालवेयर एक प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है जो जासूसी, सिस्टम के सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचाने या डाटा चुराने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया जाता है।


बता दें इंटरनेट पर कोरोना वायरस को लेकर कई लिंक्स और एप्लीकेशन प्रोग्राम शेयर किए जा रहे हैं जो COVID-19 लाइव, इससे जुड़ी दूसरी जानकारियां देने के नाम पर ठगी कर रही हैं। आप जैसे इस तरह के लिंक पर क्लिक करते हैं या प्रोग्राम इंस्टाल करते हैं, इनके साथ मुफ्त में अटैच मालवेयर प्रोग्राम भी आपके सिस्टम में जगह बना लेता है और आपका कॉन्फिडेंशियल डाटा चुराता है।


इतना ही नहीं कोरोना वायरस चैरिटी के नाम पर भी हैकर्स पैसों की धोखाधड़ी कर रहे हैं। ये भी हो सकता है कि चैरिटी के नाम पर हैकर आपका पूरा अकाउंट खाली कर दें।


कोरोना वायरस को लेकर इनबॉक्स या सोशल मीडिया (Social Media) पर आए किसी भी लिंक पर क्लिक करने से बचें। जिन लिंक्स में https की बजाय सिर्फ http लिखा हो उन पर क्लिक न करें। इंटरनेट पर आज कल वाइस फिशिंग का चलन है, जिसे विशिंग भी कहते हैं। ये एक सोशल इंजीनिरिंग स्कैम है। हैकर विशिंग के जरिए आपसे COVID के बहाने पैसे ऐंठ सकते हैं। ऐसे में कोई भी पर्सनल जानकारी फोन पर किसी से भी शेयर न करें कोरोना चैरिटी देने से पहले सामने वाले की अकाउंट डिटेल्स को खोज खबर करें, उसके बाद ही पैसे ट्रांसफर करें।


अभी तक कोरोना वायरस से संबंधित लगभग 35 फेक एप्स का पता चल चुका है। इन एप्स को ऑफिशियल गूगल प्ले स्टोर के जरिए वायरल नहीं किया गया है, बल्कि ई-मेल या मैसेज से लिंक भेज कर यूजर्स तक पहुंचाया जा रहा है।