जालंधर के डॉक्टर की लापरवाही बनी पंजाब के लिए घातक, 19 को बनाया कोरोना संक्रमित


 


जालंधर, जालंधर के एक डॉक्टर की लापरवाही पूरे पंजाब के लिए घातक साबित हुई। उसकी वजह से 19 लोग कोरोना संक्रमण का शिकार बने। दरअसल, जर्मनी से लौटकर पंजाब का पहला कोरोना पॉजिटिव बलदेव सिंह 17 मार्च को जालंधर सिविल अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आया था।


वह देर शाम को जालंधर पहुंचा था, लेकिन जिस चिकित्सक ने उसकी जांच की, उसने आगे अपने अधिकारियों को यह बताना मुनासिब नहीं समझा कि कोरोना का संदिग्ध मरीज सिविल अस्पताल में आया है। उस चिकित्सक की गलती अब पंजाब पर भारी पड़ रही है। अब आलम यह है कि बलदेव सिंह के जरिए 19 लोग कोरोना का शिकार हो गए हैं और आगे कितने लोगों में यह वायरस फैल चुका है, यह किसी को मालूम नहीं है।



17 मार्च को बलदेव आया था अस्पताल


जालंधर के सिविल अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार, 17 मार्च को बलदेव सिंह नवांशहर से इलाज के लिए जालंधर आया था। पहले वह पटेल अस्पताल गया, जहां के चिकित्सकों को उसमें कोरोना वायरस के लक्षण लगे। इस पर उन्होंने उसको सिविल अस्पताल भेज दिया।

बलदेव सिंह जब जालंधर सिविल अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचा तो वहां पर बैठे चिकित्सक ने केस को सीरियस नहीं लिया और न ही अपने अधिकारियों, कोरोना के नोडल अफसर, सिविल सर्जन या सहायता सिविल सर्जन को सूचना देने की जहमत उठाई। उसको ट्रॉमा सेंटर भेजा गया, जहां पर जांच के बाद उसको घर में ही आइसोलेशन करने की सलाह दी गई।

उसको यह कहकर घर भेज दिया गया कि घर में आराम किया जाए तो बीमारी ठीक हो जाएगी। इसके बाद बलदेव सिंह घर लौट गया। तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने अगले दिन बलदेव को नवांशहर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसकी मौत हो गई।



अगर सूचना मिलती तो बचाया जा सकता था


अब अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़ा होने लगा है। एक के बाद एक कोरोना पॉजिटिव की संख्या बढ़ती जा रही है ओर इसमें से अधिकतर बलदेव सिंह के निकटवर्ती या उसके संपर्क में आए लोग हैं। अगर जालंधर का सिविल अस्पताल प्रशासन व चिकित्सक बलदेव सिंह के बारे में अपने आला अधिकारियों को सूचना देते तो काफी लोगों को बचाया जा सकता था।

जालंधर सिविल अस्पताल के इमरजेंसी से लेकर ट्रॉमा सेंटर और फिर नवांशहर के सिविल अस्पताल, बलदेव स्टाफ के अलावा कई लोगों से मिला और बातचीत भी की थी। होना यह चाहिए था कि बलदेव के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को क्वारंटीन कर देना चाहिए था। प्रशासन की गलती से वायरस तेजी से फैलता रहा।

बलदेव की मौत से पहले नवांशहर में उसके खून के नमूने ले लिए गए थे। जांच में वह पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद बलदेव सिंह के साथ विदेश से आए दो लोगों के अलावा गांव का सरपंच भी पॉजिटिव पाया गया।



प्रशासन कोताही पर लीपापोती में जुटा


बलदेव सिंह गांव पठवाला का रहने वाला था, वहां के 6 मरीज एक साथ पॉजिटिव मिले। पास के गांव झिक्का लधाना का ग्रंथी भी पॉजिटिव मिला। अब कुल मिलकर 19 लोग ऐसे सामने आ गए हैं, जिनमें वायरस बलदेव सिंह के जरिए पहुंचा है। इन 19 मरीजों ने आगे किस-किस से मुलाकात की और कौन-कौन इनके संपर्क में था, इसको लेकर अभी काम चल रहा है।

वहीं जालंधर का सिविल अस्पताल प्रशासन बलदेव सिंह के मामले में हुई कोताही पर अब लीपापोती करने में लग गया है। इस मामले में अभी तक किसी ने जांच भी शुरू नहीं की है कि आखिरकार इस संगीन मामले में लापरवाही क्यों बरती गई। इसका जिम्मेदार कौन है। जालंधर की सिविल सर्जन गुरिंदर कौर चावला ने इस मामले में बिलकुल चुप्पी साध ली है।