Coronavirus: कोरोना के कारण क़ैदियों में आतंक, दमदम जेल में लगातार दूसरे दिन हिंसा

संपादक, गौरव तिवारी


नई दिल्ली, 24 मार्च 2020


31 मार्च तक तमाम अदालतों के बंद होने की वजह से उनकी ज़मानत याचिकाओं पर सुनवाई ठप है. दूसरी ओर, सरकार ने घरवालों से साप्ताहिक मुलाकातें भी रोक दी हैं.


इस नाराज़गी की वजह से जहां दमदम सेंट्रल जेल में बंद क़ैदियों ने शनिवार और रविवार को लगातार हिंसा और आगजनी की, वहीं प्रेसीडेंसी जेल में बंद क़ैदियों ने भी शनिवार रात को रसोईघर में तोड़फोड़ की और प्रदर्शन किया. सरकार ने इस मामले की जांच खुफिया विभाग को सौंप दी है.


इस बीच, शनिवार की हिंसा में मरने वाले क़ैदियों की तादाद बढ़ कर चार हो गई है.लेकिन पुलिस ने फ़िलहाल इसकी पुष्टि नहीं की है.


जेल मंत्री उज्ज्वल विश्वास ने कहा, "कुछ लोगों की मौत हुई है. मुझे सही तादाद पता नहीं है. हम पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं." बैरकपुर के पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा ने इस बारे में पूछने पर कहा, "मैं फ़िलहाल इस बारे में टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हूं.


पुलिस ने रविवार को क़ैदियों के एक कक्ष से दो पिस्तौलें और एक हथौड़ा बरामद किया.


जेल मंत्री उज्ज्वल विश्वास ने कहा, "यह एक सुनियोजित हिंसा थी. अगर ऐसा नहीं होता तो जेल परिसर में हथियार कैसे पहुंचे?"


अब खुफिया विभाग इसकी भी जांच कर रहा है कि वह हथियार आख़िर जेल के भीतर कैसे पहुंचे.


रविवार को क़ैदियों ने महिलाओं के वॉर्ड पर भी हमला किया. क़ैदियों के एक अन्य गुट ने सुरक्षा कर्मचारियों पर भी हमला किया और एक गैस सिलेंडर में आग लगा दी.


इससे पहले विचाराधीन कैदियों ने शनिवार को जमकर हंगामा और तोड़फोड़ की थी. उन लोगों ने जेल कर्मचारियों के साथ मारपीट की और उन पर पथराव किया. खुद को रिहा किए जाने की मांग कर रहे इन क़ैदियों ने जेल परिसर के भीतर आग भी लगा दी.


उत्तेजित क़ैदियों पर काबू पाने के लिए पुलिस वालों को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. फायर ब्रिगेड के तीन इंजनों ने काफ़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया. यह देश में पहला मौका है जब कोरोना के आतंक की वजह से किसी जेल में क़ैदियों ने हिंसा और हंगामा किया हो.


इस हिंसा के दौरान कम से एक क़ैदी की मौत हो गई जबकि जेलर समेत 20 लोग घायल हो गए. हिंसा में घायल लोगों को सरकारी आर.जी.कर मेडिकल कालेज अस्पताल में दाखिल कराया गया था. वहां बाद में तीन अन्य क़ैदियों ने भी दम तोड़ दिया.


जेल मंत्री उज्ज्वल विश्वास ने बताया, "कोरोना की वजह से अदालतें 31 मार्च तक बंद हैं. इससे जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो रही है. ऐहतियात के तौर पर परिजनों को मुलाक़ात के लिए जेल परिसर के भीतर नहीं जाने दिया जा रहा है."


मंत्री ने बताया कि सुबह कुछ क़ैदियों ने खुद को तुरंत पैरोल पर रिहा करने की मांग उठाई. उसके बाद वह लोग अचानक हिंसक हो उठे और उन्होंने सुरक्षा कर्मियों पर हमला कर दिया.


जेल के एक शीर्ष अधिकारी बताते हैं, "शनिवार दोपहर के समय कुछ क़ैदियों ने जोर देकर कहा कि उन्हें पैरोल पर रिहा किया जाए, लेकिन जब अधिकारियों ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया तो उन्होंने हिंसा शुरू कर दी. रैपिड एक्शन फोर्स (रैफ) और पुलिस के जवानों ने कुछ देर बाद हालात पर काबू पा लिया.