मन की बात में बोले PM मोदी- आपको हुई कठिनाई के लिए क्षमा मांगता हूं

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' की. उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देशवासियों का हौसला बढ़ाया. उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि लोगों को लॉकडाउन की वजह से काफी परेशानी हो रही है. इसके लिए मैं क्षमा मांगता हूं. लेकिन, मैं यह बताना चाहता हूं कि यह जरूरी था. उन्होंने देशवासियों से कोरोना को परास्त करने के लिये रविवार को चिकित्सकों की सलाह मानने और लॉकडाउन का पालन करने की अपील की.



समय पर बीमारी के खिलाफ कदम उठाना जरूरी प्रधानमंत्री ने कहा, "लॉकडाउन लागू करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था. मैं आप सभी को जो भी कठिनाई हुयी है उसके लिये क्षमा मांगता हूं.'' उन्होंने कहा कि बीमारी का प्रकोप फैलने से पहले ही उससे निपटना चाहिये वरना बीमारी असाध्य हो जाती है." लक्षमणरेखा का पालन सबको करना चाहिए मोदी ने कहा, ''कोरोना सभी को चुनौती दे रहा है. ये देश की सीमाओं से परे है. यह मानव जाति को समाप्त करने की जिद ठान कर बैठा है. लेकिन हमें इसका खात्मा करने का संकल्प लेकर ही आगे बढ़ना होगा.'' उन्होंने लोगों से आने वाले कई दिनों तक धैर्य बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि हमें लक्ष्मणरेखा का पालन करना ही है.


डॉक्टर के निर्देशों का पालन जरूरी है राम ने उन्हें बताया कि वह आईटी सेक्टर की एक बैठक में हिस्सा लेने के लिये दुबई गये थे. दुबई से भारत वापस आते ही उन्हें बुखार हुआ. हैदराबाद में एक अस्पताल में उन्हें कोरोना के परीक्षण में संक्रमण की पुष्टि हुई. राम ने बताया कि उन्होंने डाक्टरों की देखरेख में इलाज कराया और 14 दिन बाद ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी मिली. मोदी ने उनके अनुभवों से देशवासियों से सबक लेने की अपील करते हुये कहा कि राम ने हर उस निर्देश का पालन किया जो डाक्टर ने दिये। तभी वह कोरोना को पराजित कर स्वस्थ हो सके. प्रधानमंत्री ने आगरा के अशोक कपूर से भी बात की. कपूर ने उन्हें बताया कि मैं और मेरे परिवार के 6 लोग कोरोना पीड़ित मिले थे. हमें आगरा से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ऐम्बुलेंस से भेजा गया. हमें 14 दिन अस्पताल में रखा गया. डॉक्टरों और अन्य स्टाफ ने हमारा ख्याल रखा. अब हम बिल्कुल ठीक हैं. डॉक्टर ने साझा किए अपने अनुभव मोदी ने कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर नीतीश गुप्ता से भी बात की. गुप्ता ने कहा कि हम मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं. हमारा एक ही कर्तव्य है कि सबलोग ठीक होकर घर जाएं. मरीज कोरोना के बारे में सुनकर डर जाते हैं, इसलिए मरीजों की काउंसलिंग भी करनी पड़ती है. हमारे यहां से 16 मरीज ठीक होकर जा चुके हैं.