कोटा : आखिर उत्तर प्रदेश सरकार की क्या थी मज़बूरी जिसके चलते सरकर ने आनन-फानन में 252, बसें कोटा राजिस्थान भेजनी पढ़ी प्राप्त जानकारी के अनुसार इस कोरोना वैश्विक महामारी के चलते राजिस्थान के कोटा में फंसे करीब आठ हजार कोचिंग छात्रों को यूपी सरकार ने 252 बसें भेजकर कोटा से यूपी बुला लिया। मगर उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले से देश के प्रवासी मजदूरों में काफी रोष दिखा I
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वही इस सब में कोटा भेजी गई 252 बसों में किसी प्रकार की सोशल डिस्टन्सिंग देखने को नहीं मिली है वहीं प्रवासी मजदूरों का उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप है की यदि सरकार चाहें तो हमें भी अपने घर भेज सकती है मगर सरकार की हमारी तरफ कोई धयान नहीं दे रही है कोटा में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इन छात्रों के अभिभावक बहुत परेशान थे, इसलिए यह अच्छा फैसला है। मगर सवाल ये है कि अगर बसें भेजकर छात्रों को उनके राज्यों में भेजा जा सकता है तो यहां फंसे लाखों मजदूरों के लिए ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है? और क्यों उन्हें ‘जहां हैं, वहीं रहें’...का आदेश सुना दिया गया है।
इस फैसले को लेकर सियासत भी गर्मा गई है। बिहार के सीएम नीतीश ने इसे “नाइंसाफी’ बताते हुए राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन के नियम के खिलाफ बताया और कोटा के हॉस्टल में रह रहे बिहार के छात्रों काे बुलाने से इनकार कर दिया। उधर, 19 या 20 अप्रैल काे एमपी सरकार भी छात्रों के लिए बसें भेज सकती है। इसके लिए दोनाें सरकारों के बीच बातचीत जारी है। वहीं, राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा- ‘हम मजदूराें काे भी उनके घर भेजने काे तैयार हैं। राजस्थान पहला राज्य था, जिसने लाॅकडाउन के बाद दूसरे राज्याें के मजदूराें काे घर भेजने के लिए बसें लगाई थीं, लेकिन केंद्र की आपत्ति के बाद इसे टालना पड़ गया। अब फैसला केंद्र काे करना है। केंद्र सरकार सभी राज्याें की सरकाराें से बात करके स्टूडेंट्स व मजदूराें काे घर भेजने का फैसला करे।
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